देवरीकला। देवरी मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम मानेगांव में छोटे-छोटे छात्र-छात्राएं 2 किलोमीटर पैदल चलकर शिक्षा के मंदिर तक पहुंचते है। किसी को इन बच्चों की स्थिति दिखाई नहीं देती। एक तरफ तो सरकार सर्व शिक्षा अभियान का ढिंढोरा पीट रही है हर घर में शिक्षित नागरिक हो दूसरी तरफ आदिवासियों की दयनीय हालात किसी को दिखाई नहीं देती।
मनेगाव प्राथमिक स्कूल में चैनपुर टोला से पैदल आनेवाली कक्षा पांच वीं की दो छात्राओं एवं कक्षा चौथी की छात्रा ने बताया की हम पढाई के लिए 2 किलोमीटर पैदल चलकर मनेगाव प्राथमिक शाला तक आते है। कई वार हम समय से विद्यालय पहुंचने के लिए शिक्षक द्वारा दिया गया ग्रहकार्य पूर्ण नहीं कर पाते और विद्यालय में डांट खाते है। एक छात्रा ने बताया की हम सुबह 9 बजे घर से पैदल चलकर स्कूल आते है और 10 बजे विद्यालय पहुंच पाते है। जिससे थकान और कभी-कभी तबियत भी खराब हो जाती है और शाम के समय छुट्टी के बाद घर पहुंचने में शाम भी हो जाती जिससे पढाई पर भी असर पढ़ता है। प्राथमिक शाला प्रधान अध्यापक कल्पना कोरी ने बताया छात्राएं दूर से पैदल आकर थकान महसूस करती और कभी-कभी पैदल चलने से कई दफा बुखार की भी शिकायत हो जाती है। इससे बच्चों की पढाई पर भी असर पड़ता है। मानेगांव विद्यालय परिसर में वाउंड्री वाल न होने के चलते आवारा पशुओ, कुत्तों और अन्य जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है जिससे बच्चों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता है।