जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारंभ होती है: मृदुल

माखन चोरी, कृष्ण जी की लीला का झांdsc07638-copyकियों से हुई प्रस्तुति  लगा छप्पन भोग
खुरई। श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन माखन चोरी व गोपाल लीला पर प्रकाश डालते हुए आचार्य मृदुल कृष्ण जी महराज जी ने कहा कि दूध दही माखन खाकर कंस के अनुचर बलवान होकर अधर्म को बढ.ावा देने मे लगे थे इस लिए प्रभु ने दूध दही माखन को मथुरा कंस के राक्षसों के पास जाने से रोका और छोटेे -छोटे बाल गोपालों को खिलाया जिससे वे बलवान बने और अधर्मी कंस के अनुचरों के कुकृत्यों को रोक सकें भगवान कृष्ण अपने ग्वाल बालों से इतना प्रेम करते थे कि उनका जूठन भी खा लेते थे विषेष महोत्सव के रुप में आज गिरीराज पूजन विषेष धूम-धाम से मनाया गया वही आचार्य जी ने ऋद्धालुओं को बताया कि  मानव योनी मे जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी स्वार्थ की भावना मन में रखता तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृति की पायदान पर खड़ा रहता है यदि व्यक्ति परमार्थ करते हुए जीवन बिताता हे तो वह अच्छा इंसान कहलाता है क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है। पूतना चरित्र पर प्रकाश डालते हुए आचार्य जी ने कहा कि कंस अपने आपको सब कुछ समझने लगा खुद से बडा बनने वाले या दिखने का प्रयास करने वाले को मार दिया। व्रज क्षेत्र मे पैदा होने वाले हर बालक की हत्या करवा दी और प्रभु कृष्ण को मारने के लिए पूतना को भेजा तो प्रभु ने उसे मोक्ष दिया कंस प्रतापी राजा उग्रसेन का पुत्र होते हुए स्वार्थ लोलुपता अधिकाधिक होने के कारण राक्षसी श्रेणी में आ गया जिसका श्री कृष्ण भगवान ने बध किया आचार्य जी ने आगे कहा कि हम जीवन मे वस्तुओं से प्रेम करते हें और  मनुष्य का उपयोग करते हैं जबकि होना इसका उल्टा चाहिए कल की कथा में विशेष महोत्सव के रुप में श्री रुक्मणी विवाह हर्षोउल्लस के साथ मनाया जाएगा।