चरखे की चाहत खीच लाई थी बापू को अनंतपुरा


जेठालाल से प्रभावित होकर आये थे बापू

रवि सोनी गढाकोटा ।चरखे की चाहत व अनंतपुरा गांव के युवक जेठालाल भाई की राष्टभक्ति से प्रभावित होकर राष्ट पिता महात्मा गांधी के 84 साल पहले 1 दिसम्बर 1933 को एम्पेवके रहली के अनंतपुरा आयें थें । बापू ने अनंतपुरा गांव में रात्रि विश्राम कर पूरे 15 घंटे बितायें थे । बापू की यात्रा के बाद से रहली के समीपस्थ ग्राम अनंतपुरा की पहचान गांधी ग्राम के रुप में हुई।
दो सौ घरो के छोटे से अनंतपुरा
में अग्रेजी शासन काल में जेठालाल भाई नामक युवक द्वारा खादी आश्रम का संचालन कर गांव के लोगो को रोजगार मुहैया करानेे के साथ स्वेदेशी वस्त्रो एवं स्वेदेशी विचार धारा का प्रचार किया जा रहा था। जेठालाल पत्र व्यवहार के माध्यम से गांधीजी से मार्ग दर्शन प्राप्त करते थे । जेठालाल की राष्टभक्ति से प्रभावित होकर गांधी जी अनंतपुरा जेठालाल का हौसला बढानें के लियें आयें थें । हालांकि आज जेठालाल के परिजन अनंतपुरा मे निवास नही करते आजादी के बाद पूरा परिवार नागपुर चला गया था। खादी आश्रम के अवशेष भी नही बचे है ।
15 घंटे रुके थे बापू
1 दिसम्बर 1933 को बापू दोपहर 3.30 बजे अनंतपुरा ग्राम पहुचे थें । देवरी से अनंतपुरा आते समय बापू का पूरे रास्ते मंे स्वागत किया गया था । गांव मंे पहुचकर सवसे पहले बापू जेठालाल से मिले एवं खादी आश्रम का निरीक्षण किया । खादी आश्रम से बापू इतनें प्रभावित हुए कि उन्होने अनंतपुरा ग्राम के बारें मे सम्पादकीय लिखी । गांव के मध्य बने चबूतरे से सभा कों संबोधित कर छुआछूत मिटाने की अपील की एवं चरखे के महत्व को समझाते हुए कहा था कि चरख देश के करोडो भाईयों का धी दूध और रोटी है । सायंकालीन प्रार्थना सभा के बाद बापू ने झोपडीयों में जाकर लोगो के हाल जाने । रात्रि विश्राम के बाद बापू दूसरे दिन प्रातः कालीन प्रार्थना सभा के बाद सुबह 6.30 बजे अनंतपुरा ग्राम से दमोह को रवाना हुए थे । यात्रा मे उनके साथ स्व.व्यौहार राजेन्द्र सिंह एव स्व पं.रविशंकर शुक्ल साथ थे। इस समय नई पीढी अंजान है बापू की अनंतपुरा यात्रा के बारे में ।नई पीढी पूरी तरह अनभिज्ञ है । गांव के बुर्जुग बताते है कि उन्होने अपने दादा परदादा से गाधी जी की यात्रा के बारें में सुना है । यहां अक्सर बड़े नेता ,मन्त्री ,अधिकारी जरूर आते है । यहां एक चबूतरा भी बना हुआ है।

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