पुत्र वही है जो पिता का उद्धार कर दे: बृजेश शास्त्री

भूपेन्द्र सिंह राजपूत देवरीकला। ग्राम सागोनी में श्री धूनीवाले दादाजी के दरबार में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन पंडित बृजेश शास्त्री महाराज ने कहा जैसे हिरण कश्यप के यहां प्रहलाद का जन्म हुआ था और पहलाद ने भगवान की भक्ति की थी और भगवान ने खुश होकर पहलाद से कहा था भक्त वरदान मांगो तुम्हें क्या चाहिए तो पहलाद ने कहा हे भगवान मेरे पिता का भी उद्धार कर दीजिए और भगवान आपके श्री चरणों में इनके लिए जगह दे दीजिए बस मुझे यही चाहिए भागवत कथा में शास्त्री ने कहा गौ सेवा का महत्व समझाते हुए कहा जो आज के समय में गाय को दान नहीं कर सकता और गौ सेवा नहीं कर सकता तो इतना ही कर ले कि गाय के चमड़े से बने हुए सामग्री का उपयोग ना करें कथा श्रोताओं में मुख्य यजमान प्रताप सिंह राजपूत रघुवीर सिंह दाऊ सुरेन्द्र सिंह मुआर अनिल मिश्रा मुन्ना राय प्रथम सिह उमेश मिश्रा सुत उपाधय कल्लू सिरबैया शेरसिंह सिरबैया लखन साहू एवं सैकड़ों की संख्या में कथा श्रोता उपस्थित रहे।

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