तकनीकि ही मनुष्य की प्रगति का कारण है – कुलाधिपति डॉ. अजय कुमार तिवारी

सागर। स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय सागर में विज्ञान दिवस के अवसर पर कम्प्यूटिंग कम्यूनिकेषन एण्ड सूटेनेबिल टेक्नॉलॉजी, विषय पर दो दिवसीय  अर्न्तराष्ट्रीय संगोष्ठी दिनाँक 27 एवं 28 फरवरी 2023 को आयोजन किया जा रहा है जिसका शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ जिसमें डॉ.सुकदेव वाजपेयी द्वारा स्वास्ति वाचन किया गया। इसके उपरान्त अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया। तत्पष्चात् अध्यक्षीय उदबोधन संस्था के कुलाधिपति डॉ. अजय कुमार तिवारी जी द्वारा दिया गया, उन्होंने कहा – कि सागर सम्भाग में स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय प्रथम संस्थान बना है, जहाँ लगातार 11 वर्षो से लगातार विज्ञान दिवस के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित होती आ रही है। आज का यह विषय सम सामायिक है। मोबाइल रूप में कम्प्यूटर आज कल सब के हाथ में है। आदिदेव शंकर सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है, क्योंकि उन्होंने हाथी का सिर काट कर गणेष जी को लगाया था। हमारा देष प्राचीन काल से ही वैज्ञानिकता में आगे रहा है। आज कल आधुनिक युग में हर एक क्षेत्र में कम्प्यूटर की बात होती है जो यह तकनीक जानता है वही आगे जाएगा। तकनीकि ही मनुष्य की प्रगति का कारण है। मोबाइल कम्प्यूटिंग एक प्रकार की टेक्नोलॉजी है जिससे डाटा को किसी भी मोबाइल डिवाइस से वायरलेस नेटवर्क में ट्रांसमिट किया जा सकता है। स्मार्टफोन और टैवलेट वास्तव में एक कम्प्यूटर माने जाते है यह तकनीकि क्षेत्र है। इसमें उस उपकरणों पर विभिन्न प्रकार के कार्यो को करने के लिए किया जाता है। अध्यक्षीय उद्बोधन उपरान्त सीडी का विमोचन किया गया जिसमें संगोष्ठी से संबंधित पेपर की प्रस्तुति है। स्वागत भाषण संस्था के संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी जी द्वारा दिया गया आपने कहा कि – प्रत्येक वर्ष यह अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी तीन विषयों को लेकर की जाती है- कृषि विज्ञान,विज्ञान एवं फॉर्मेसी। स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय द्वारा 10 गाँव को गोद लिया गया है जिसके अन्तर्गत कृषि को बढ़ावा देने, अनाज की मात्रा को बढ़ाने एवं बच्चों के विकास का पूरा प्रयास विष्वविद्यालय द्वारा किया जाता है। कोई कार्य नियमित समय पर किया जाए तो वह भलीभाँति होता है अर्थात् सफल होता है। किसी भी कार्य में समय की ही कीमत होती है। प्रत्येक वर्ष इस कॉनफ्रेन्स की एक विषेष उपलब्धि होती है। इस वर्ष 8 राज्यों एवं 4 देषो से पेपर प्रिजेंटेषन किया जा रहा है। पूरा विष्व एक मुठ्ठी में है यह हमें कोविड ने सिखाया है। अर्थात् आपदा भी हमें कुछ न कुछ सीख देती है। प्रत्येक कार्य से मनुष्य को कुछ ना कुछ सीख लेनी ही चाहिए क्योंकि सीखना जीवन पर्यन्त चलता रहता है। जहा तक की मनुष्य को अपनी गलतियों से भी सीखना चाहिए। वक्तव्य की अगली श्रृखला में डॉ. परेष रावत जी – अध्यक्ष ए.आर.इ.एस.एस. भोपाल (म.प्र.) ने कहा – कि सम्प्रेषण द्वारा समाज के सदस्य अपने भावों का आपस में आदान-प्रदान करते रहते है। यह द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसमें विचारों का आदान-प्रदान होता है। संप्रेषण का लक्ष्य संबंधित पक्षकारों तक सूचनाओं को सही अर्थ में संप्रेषित करना होता है। सम्प्रेषण द्वारा विभिन्न सूचनाएँ प्रदान कर पक्षकारों के ज्ञान में अभिवृद्धि की जाती है। सम्प्रेषण का आधार व्यक्तिगत समझ और मनोदषा होती है। डॉ. सुनील श्रीवास्तव जी – प्राचार्य शा. उत्कृष्ट महिला महाविद्यालय ने विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि – कम्प्यूटर के आने से समय की बचत हुई है। सम्प्रेषण और संचार अग्रेजी भाषा में पर्याय है परन्तु हिन्दी में दोनो का अर्थ अलग है संचार – संक्षिप्त चर धातु से बना है। कम्प्यूटर एक घटक है संचार का। मनुष्य संप्रेषण पर ही निर्भर करते है सम्प्रेषण के बिना समाज की कल्पना नही की जा सकती है, मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षी भी सम्प्रेषण करते है। सम्प्रेषण दोनो तरफ से होना चाहिए। संस्था के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. आर. नाथ ने कहा कि – सार-सस्टेनेबल कम्प्यूटिंग पर्यावरण के अनुकूल पर्यावरण के साथ कुषलतापूर्वक और प्रभावी ढ़ग से कम्प्यूटर और उसके परिधीय उपकरणों में संचार प्रणालियों के उपयोग के लिए पर्यावरण स्थिरता के लिए गैर-पारंपरिक कम्प्यूटिंग है। इसके उपरान्त विष्वविद्यालय की वर्तमान प्रभारी कुलपति डॉ. सुनीता जैन ने कहा कि – निरंतर 11 वर्षो से हम यह कॉनफ्रेन्स करते आ रहें । किसी उद्देष्य की प्राप्ति के लिए इस तरह के कॉनफ्रेन्स हमे उद्देष्य प्राप्ति में मद्द करते है। जिस क्षेत्र में भी हम नवाचार की बात करते है वहा प्रगति निष्चित है। इस वर्ष भी यह अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो ही मोड पर है। 27 फरवरी 2023 को तरंग माध्यम से जिनका पेपर प्रिजेंटेशन रहा उनके नाम है – सुशील गुप्ता एवं डॉ. शैलेन्द्र सिंह (एन.आई.टी.टी.टी.आर. भोपाल), डॉ. एकता जैन एवं शुभा दुबे (यूनीवर्सिटी भोपाल), आकाश शर्मा, अभिषेक तिवारी एवं डॉ. व्ही.बी. रेड्डी, राम कुमार विश्वकर्मा, डॉ. एल.डी. मालवीय, अमृता खेरा एवं डॉ. उमाषंकर कुर्मी (एल.एन.सी.टी. यूनीवर्सिटी भोपाल), सौरभ पांडे एवं डॉ. प्रशांत जैन (आर.जी.पी.व्ही. भोपाल), अन्नी गुप्ता एवं डॉ. सरिता सिंह भदौरिया (आर.जी.पी.व्ही. भोपाल), दीपक पंचोली, डॉ. राजीव गोयल एवं डॉ. परेष रावत (अमिटी यूनिवर्सिटी ग्वालियर), अरूण पटेल एवं डॉ. प्रभात पटेल (आर.जी.पी.व्ही. भोपाल) कार्यक्रम का आभार ज्ञापन डॉ. शैलेन्द पाटिल द्वारा किया गया जो इस कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक भी है। अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषयांतर्गत दिनांक 28/02/2023 को तरंग आधारित व्याख्यान संचालित होगें। आज के इस कार्यक्रम में संस्था के सभी अधिकारी एवं अधिष्ठातागण – डॉ. बी.व्ही. तिवारी, डॉ. मनीष मिश्र, डॉ. सचिन तिवारी, डॉ. आषीष यादव, डॉ. सुकदेव वाजपेयी, डॉ. उमेष मिश्रा, डॉ. सुनीता दीक्षित, श्रीमती अंतिमा शर्मा, डॉ. अनुजा श्रीवास्तव, पारूल मिश्रा एवं छात्र-छात्रा आदि भी उपस्थित रहे मंच संचालन डॉ. ममता सिंह द्वारा किया गया। सहसंयोजक डॉ. अभिषेक तिवारी के संयोजकत्व में यह अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी संचालित हो रही है।

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