खुले आसमान में पूस की रातें काट रहेे गरीब

दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिल रहा मुआवजा
देवरीकलां।img-20161219-wa0018 देवरी विकासखंड में मुआवजे के नाम पर किसानों को लगातार तहसील कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। भू-अधिकार पुस्तिका में पिता का नाम लिखा नहीं होने से एक परिवार के सदस्यों को मुआवजे के लिए तहसील कार्यालय भटकना पड़ रहा है। दूसरी ओर बारिश में गिरे मकान की छतिपूर्ति राशि नहीं मिलने से एक गरीब परिवार खुले में राते काटने विवश है।
परिवार के एक सदस्य हल्लई का कहना है कि मुआवजा तो 6 माह पहले शासन द्वारा किसानों को वितरित किया गया था और किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था। हल्लई और उनके तीन परिवारजन राम प्रसाद, किशोरी, पार्वती आदि के नाम भू-अधिकार पुस्तिका में हैं। परंतु पिता का नाम जो की मोहन सिंह है भू-अधिकार पुस्तिका में चढा नहीं है। उसका कहना है कि अब ये गलती हमारी नहीं है कि नाम क्यों नही चढ़ा ये गलती तो जिसने बंदी बनाई है उसकी है। परंतु इस गलती का खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है। किसान का परिवार दो माह से लगातार कार्यालय के चक्कर काट रहा है। किसान ने बताया पटवारी की लापरवाही से हल्लई का मुआवजा किसी दुसरे के खाते में चला गया और और किसान लगातार चक्कर काट रहे कभी अधिकारी नही मिलते तोह कभी कर्मचारी किसानों को न्याय कैसे मिले।
कड़काड़ाती ठण्ड में गुजार रहे रात
वही दूसरी ओर ग्राम पंचायत मडख़ेरा निवासी गोकल पिता रूपसिंग का बरसात के चलते मकान गिर गया था। मौके पर पटवारी ने जाकर छतिपूर्ति राशि का आंकलन एक लाख रूपए किया था। किसान तीन माह से तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहा लेकिन मुआवजा नहीं मिला। पूष की इन कड़कड़ाती रातें पूरे परिवार के साथ खुली छत में काटने मजबूर है।

इनका कहना है
इस मामले की जानकारी प्राप्त हुई है मामले की जांच कराकर जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी और मामले की निष्पक्ष जांच कराकर किसानों को मुआवजा जल्द दिया जायेगा
 विनय रिछारिया तहसीलदार देवरी
मैं इस संबंध में राजस्व अधिकारी से बात करके किसानों को न्याय दिलाऊंगा
 हर्ष यादव विधायक देवरी

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