रमजान हमें भलाई व हमदर्दी का पैगाम देता है

रबि सोनी गढाकोटा | अल्लाह के इनाम व बरकत का महीना रमजान हमें भलाई व हमदर्दी का सबक दे रहाmasjid है। इंसानी खिदमत का जज्बा रखने वाले लोग इस महीने में जरुरतमंदों ए गरीबों ए यातिमों में जकात व खैरात का वितरण कर बड़े सबाव के भागीदार बनते हैं। रिटायर्ड शिक्षक रियाज कुरैशी ने बताया कि तमाम इबादतों में रोजा की जमीन शान है।एअल्लाह के प्यारे नबी ने फरमाया है कि दुआ से तकदीर बदल जाती है और सदका खैरात करने से उम्र बढ़ जाती है। अल्लाह के प्यारे नबी ने फरमाया माहे रमजान में सदका व खैरात बहुत ही ज्यादा करे मौलाना ने बताया कि रोजे की हालत में मिसवाक करना इतर व सुरमा लगाना सुन्नत में शुमार है। अल्लाह की कुदरत के मुताबिक जिस तरह पेड़ अपना लिवास बदलते हैं। सूखी पत्तियां शाखों से जुदा कर दी जाती है। फिर उनको नई कोपले व पत्तियां आ जाती है। फिर देखते ही देखते विरान व उजड़ा सा दिखने वाला पेड़ एक नई जोश के साथ ताजगी का पैगाम देने लगता है। इसी तरह साल के 11 महीने के बाद एक महीना रमजान का आता है। महीने भर रोजा रखने के बाद तकवा व परहेज गारी अख्तियार करनेए अल्लाह की इबादत व बंदगी के साथ उसके हुक्म के आगे झुक जाने से रोजेदार हरा- भरा होकर लहलहाने लगता है।

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