स्कूल में खाना खाने के बाद बच्चे ही साफ करते हैं बर्तन

 राय खेड़ा पंचायत की माध्यमिक शाला स्कूल का मामला  

शाला प्रबंधन की लापरवाही उजागर करने पर पत्रकार को मिल रही धमकियां

भूपेन्द्र सिंह ठाकुर देवरीकला। छुआछूत जात पात के भेदभाव को समाज से खत्म करने के लिए जहां शासन स्तर पर समाज में जागरूकता लाने और पुरानी कुर्तियां रीति रिवाज को खत्म करने के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित कर समाज में बदलाव लाने और जात पात का भेदभाव खत्म करने समानता लाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं । वहीं शिक्षा विभाग के एक शिक्षक मीडिया के कैमरे के सामने छुआछूत की बात शिक्षा के मंदिर में कुछ अलग ही अंदाज में बयां करते नजर आए गौरतलब है कि शासन प्रशासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर पाठ्यक्रम शिक्षा प्रदान करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है । वहीं शिक्षा विभाग के ही कर्मचारी इस प्रकार की बेतुकी बयानबाजी कर शिक्षक के पद की गरिमा को शर्मसार करते नजर आ रहे हैं सोचनीय पहलू यह है कि जिस शिक्षा के मंदिर में शिक्षक को छात्र-छात्राओं के लिए ज्ञान बांटने के लिए रखा गया है जब वही अज्ञानता के आगोश में समाए हुए हैं तो ऐसे में शिक्षक बच्चों का भविष्य बनाने को लेकर कितना संजीदा हो सकते हैं यह तो शिक्षक महोदय द्वारा की जा रही बयानबाजी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है यह पूरा मामला देवरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत राय खेड़ा स्थित माध्यमिक शाला स्कूल का है जहां पर स्कूल में अध्ययनरत छोटे-छोटे छात्र-छात्राओं को स्व सहायता समूह द्वारा वितरित मध्यान भोजन उपरांत स्कूली बच्चों द्वारा ही खाना खाने के बर्तन दोहे जाने का मामला सामने आया जिस पर मीडिया ने साला के अध्यापक अरविंद राठौर से उनकी राय जानना चाहि कि बच्चों द्वारा खाना खाने के बर्तन क्यों सांफ किये जा रहे हैं तो शिक्षक का जवाब छुआछूत और जातिवाद की तरफ इशारा करते हुए बयान दिया गया जब पत्रकारों द्वारा छुआछूत की परंपरा होने की बात कही गई तो फिर वह अपनी बात से मुकरते नजर आए वहीं शिक्षक द्वारा गोल मटोल बात करते हुए अपने बयान पर पर्दा डालने की कोशिश की गई उनका कहना था कि यदि किसी बच्चे के बर्तन को दूसरा बच्चा उनके बर्तन को और कोई छू ले तो फिर बच्चा उस बर्तन में खाना नहीं खाता और हमारा खाना बच जाता है  खराब हो जाता है इसीलिए  सभी बच्चे अपने-अपने बर्तनों में खाना खाकर स्वयं ही साफ करते हैं  और अलग अलग रखते हैं ऐसा कहना है स्कूल के शिक्षक का और ग्राम मे ब्राह्मण समाज अधिक होने और छुआछूत की बात की तरफ इशारा करते हुए प्रत्येक गांव की अपनी समस्या होती है यह कहते हुए पूरे मामले पर सफाई देते नजर आए जब एक शिक्षक इस प्रकार की छुआछूत जैसी बातों पर सरोकार रखते हैं तो समाज में और छात्र-छात्राओं में कैसे जागरूकता लाई जा सकती है यह एक सोचनीय पहलू है ।
क्षेत्र के स्कूलों में मनमानी का आलम
शिक्षा विभाग की लापरवाही और विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते क्षेत्र के स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों द्वारा लापरवाही और मनमानी का आलम देखा जा रहा है समय पर स्कूलों में शिक्षकों का उपस्थित ना होना और समय से पूर्व ही स्कूलों का बंद हो जाना यदा-कदा देखा जा सकता है स्कूलों का आलम तो यह है कि स्कूल में शिक्षक से पहले बच्चे पहुंच जाते हैं और साला में ताला बड़ा होने के कारण बाहर ही छात्र-छात्राएं घंटों इंतजार करते नजर आते हैं क्षेत्र के दूरदराज के ग्रामों में शिक्षक मनमाने तरीके से स्कूलों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं वहीं विभाग के वरिष्ठ अधिकारी लापरवाह शिक्षकों पर कार्यवाही करने की वजह उन पर कृपा दृष्टि बनाए हुए हैं शिक्षा विभाग में वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण प्रक्रिया का भी कोई असर आज तक दिखाई नहीं दिया इन कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफर ना होने से शिक्षा विभाग मैं अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की सीमाएं चरम पर हैं  शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारियों की राजनीतिक पकड़ मजबूत होने के कारण शासन की स्थानांतरण प्रक्रिया को चुनौती दे रहे हैं क्षेत्र में शिक्षा विभाग मैं पदस्थ अधिकारी कर्मचारी की पदस्थापना से लेकर रिटायरमेंट तक एक ही स्थान पर जमे रहने का मंसूबा कामयाब हो रहा है क्या शिक्षा विभाग में ट्रांसफर प्रक्रिया देवरी क्षेत्र के शिक्षा विभाग अधिकारियों पर लागू नहीं होती क्या कारण है यह विचार करने वाली बात है ।
 साला प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करने के एवज में पत्रकारों को मिली धमकी
देवरी क्षेत्र के राय खेड़ा पंचायत स्थित माध्यमिक शाला स्कूल में शाला प्रबंधन और सो सहायता समूह की लापरवाही और अनियमितताओं को उजागर करने कवरेज करने पहुंचे देवरी नगर के पत्रकार को कवरेज करने की एवज में स्व सहायता समूह और शाला प्रबंधन की जिम्मेदारों की तरफ से धमकियां दी जा रही हैं गौरतलब है कि मीडिया द्वारा उठाए गए कदम से शासन की संचालित योजनाएं और सुविधाओं का लाभ आम जनता को ना मिल पाने और योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करने के मकसद से अपने कर्तव्यों का पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन किया जा रहा है परंतु विभाग के अधिकारी और जिम्मेदार गलतियों पर सुधारना करते हुए उल्टा मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए पत्रकार को अब शब्दों का प्रयोग करते हुए डराया धमकाया जा रहा है और पत्रकारिता की आवाज को दबाया जा रहा है जहां एक और प्रदेश सरकार के मुखिया कमलनाथ द्वारा पत्रकारों के हित में नए नए नियम और कानून लागू कर सुरक्षा प्रदान करने की बात कह रहे हैं वहीं प्रदेश में लगातार पत्रकारों के साथ बढ़ती जातियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों द्वारा पत्रकारिता की आवाज को दबाने और कुचलने का काम लगातार किया जा रहा है हाल ही में कुछ ही माह के अंदर पत्रकारों के साथ कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं उसके बावजूद शासन प्रशासन स्तर पर पत्रकार और पत्रकारिता सुरक्षा अधिनियम आज दिनांक तक लागू नहीं किया गया यदि इसी प्रकार मीडिया की आवाज को दबाया जाता रहा तो देश में अराजकता का माहौल कायम होने से इंकार नहीं किया जा सकता ।
क्या कहते हैं अधिकारी

इस पूरे मामले में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का कहना है की स्कूलों में छुआछूत जैसी बातचीत ना होती है और ना होनी चाहिए रहा सवाल बच्चों के बर्तन धोने का तो यह गलत है स्कूल में बच्चों से बर्तन नहीं धुल बाय जाते क्योंकि ऐसा कोई भी आदेश नहीं है बल्कि स्व सहायता समूह  की जवाबदारी है  कि वह  बच्चों की खाना खाने के बर्तन एक कर्मचारी लगाकर साफ करवाएं  यह समूह की जवाबदारी है कि वह बर्तन साफ करवाएं यदि इस प्रकार का कोई मामला आया है आपके माध्यम से तो मैं इसमें स्कूल पहुंचकर संबंधित के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करूंगा ।   उमाशंकर दुबे  बीआर.सी देवरी

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