स्वास्थ्य विभाग में बैठे विभीषण ,संरक्षण में फल फूल रहे झोलाझाप

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सुरेन्द्र जैनमालथौन। क्षेत्र भर में झोलाझाप अपना डेरा जमाएं हुए है इन्हे किनका सरंक्षण हैं इन पर साल भर में एक -आध  बार शिकायत पर इन पर छापामार कार्यवाही  या  दबिश दी जाती  है ,लेकिन उसके पहले विभाग में बैठे विभीषण अपने बिना डिग्रीधारी  डॉक्टरों को इततला कर देते है ।दबिश के पहले वह भूमिगत हो जाते हैं।इस तरह कार्यवाही से बच निकलते हैं ।इसका कारण है, ऐसे झोलझाप ,विभीषणों को हर माह चार अंको में लक्ष्मी दर्शन कराते है  जिससे वह सुरक्षित रहते हैं। उन्हें धड़ल्ले से क्षेत्र में अवैध तरीके से अस्पताल चलाने का लाइसेंस मिल जाता है।वह उनकी अवैध आय का जो जरिया बने हैं उन पर नकेल कैसे  कसी जायेगी? उन पर होती है कार्यवाही –          जिनसे नजराना हल्का ,या कोई मतभेद यहा राजनैतिक द्वेष हो ,या इशारे पर उन पर कार्यवाही का डंडा रगड़ने का निर्देश हो ऐसा बीते दिन बांदरी क्षेत्र में सुनने देखने में आया स्वास्थ्य विभाग के  महकमे की टीम दस्तक देने के पहले उन विभीषणों ने बिना डिग्री धारियों को भगा दिया । यही आलम मालथौन नजर आने से पहले बंगाली चाँदसियो को  सूचना पहुच गयी वह अपनी अपनी क्लिनिक बंद कर निकल गये ,खबर थी टीम मालथौन में भी दस्तक दे सकती है , हालांकि टीम ने  दबिश नहीं मारी ।मगर सिर्फ वही बंद कर निकल गए थे उनको  सूचना कैसे पहुचीं। यह एक विचारणीय बिन्दु है । विभागीय विभीषणों ने उन्हें पहले खबर कर दी सतर्क रहिए। विभाग को ऐसे बेईमान विभीषणों को पहले खोज निकलना होगा जो दबिश के पहले अपना प्लान लीक कर अपना फर्ज समझते हैं। जिले से आई टीम की बांदरी में हुई कार्यवाही संदेह के घेरे में है बांदरी में चर्चा है बांदरी में बिना डिग्रियों के बंगाली चांदसी क्लिनिक धड़ल्ले से चला रहे हैं विभागीय छापामार टीम के आने के पहले उन्हें टीम की खबर मिल गई वह ताला लगा कर भाग गए ,वहा कार्यवाही को लेकर तरह-तरह की  चर्चाएं चल रही हैं इस तरह की अपनो पर सितम गैरो पर मेहरबान है। हम यह नहीं कह रहे वह गलत है या सही हैं कार्यवाही सवाल खड़े कर गए।

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