अब केसे उठ सकेंगी किसानों की बेटियों की डोलियां


Ravi soni गढाकोटा।किसानों की आय का जरिया एक मात्र फसल ही होता है जिस पर किसान और किसानों का परिवार ना जाने कितने सपने संजोता है। बेटा बेटियों की पड़ाई की फीस ,उनको अच्छे कपड़े और वर्ष भर के लिए राशन की जुगत भी फसलों पर ही टिकी रहती है।यहां तक की बेटा बेटियों के हाथ पीले करने का सपना भी फसलों पर ही निर्भर रहता है।लेकिन खरीफ की फसलें नष्ट होने से किसानों के सभी सपने बिखर कर रह गये।हालांकि सरकार ने बिना सर्बे कराये ही मुआवजा की घोषणा तो कर दी लेकिन मिलने बाला मुआवजा क्या किसानों के नुक्सान की भरपाई कर पायेगा या ऋण माफी की तरह उलझ कर रह जायेगा?
लगातार हो रही भारी बारिश से खरीफ की फसलें चौपट हो चुकी है अतिवृष्टि से पहले ही उड़द की फसल बर्बाद हो चुकी थी किसानों को सोयाबीन की फसल से उम्मीद बनी हुई थी ।वह भी अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई किसान संकट में खड़ा है उसे भरण पोषण और रवि फसल की वोवनी की चिंता सताने लगी है ।सरकार से मदद की टकटकी लगाएं है ।किसान, बर्बाद फसलों का मुआवजा मिल जाने की उम्मीद पर ही रवी फसलो की बोवनी करने की हिमाकत कर पायेंगे ।
मालथौन क्षेत्र में खरीफ की फसल उड़द मूंग ,सोयाबीन की फसल भारी बारिश की भेंट चढ़ गई है ।चारो ओर खेत जल मग्न दिखाई दे रहे है फसले पानी में डूबी हुई हैं फलियां अंकुरित होने लगी ,टूटकर सड़ने लगी हैं। सोयाबीन के खेत पीले पड़ गए ,खेतो में पानी भरा हुआ हैं ।

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