पुरातन संस्कृति की धरोहर है हिन्दी: डॉ. आचार्य

hindi-diwas-photo-02सागर। हिन्दी दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर में हिन्दी विभाग के तत्वाधान में संगोष्ठी पर मुख्य वक्ता की आसंदी से प्राध्यापक  डॉ. सुरेश आचार्य ने अपने उद्वोधन में कहे। हमारी राष्ट्रीयता और हिन्दी की भूमिका विषय पर आपने बताया कि देश में संवेगात्मक एकता बनाए रखने की क्षमता केवल हिन्दी में ही है यह वह भाषा है जिसके बीजमंत्र वंदे मातरम ने 1905 से सभाी देश भक्तों के शिराओं में स्वतंत्रता की ज्वाला जला दी। भूषण, प्रसाद, कवि निराला, महादेवी वर्मा सभी ने राष्ट्रीयता के सामंजस्य से कविता के द्वारा छात्रों को नई दिषा दी है। संगोष्ठी का औचित्य पर विभागाध्यक्ष डॉ. ममता सिंह ने अपना वक्तव्य दिया। इसी अवसर पर संस्कृत विभाग के डॉ. सुखदेव वाजपेयी ने बुन्देली में समाहित हिन्दी भाषा की विविधता का वर्णन किया। डॉ. नीलम जैन ने वर्तमान स्थिति में हिन्दी साहित्य की भूमिका पर अपने विचार रखे। संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी जी ने कहा हिन्दी में इतनी क्षमता है कि वह नितनवीन शब्दों का भण्डार बन गई है। जिससे समस्त राष्ट्र धार्मिक तथा संास्कृतिक एकता के सूत्र में बंध गया है। अध्यक्षीय उद्वोधन में कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी जी ने कहा हिन्दी हमारा गौरव है। हमारे राष्ट्र का स्वरूप इसी से पूर्ण होता है। केवल हिन्दी दिवस को मना कर हम अपना कार्य समाप्त न समझें वरन् हिन्दी को अपने जीवन में आत्मसात करें क्योंकि मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हैै। सरलता सहजता और बोधगम्यता ही अपनी भाषा के माध्यम से आती है। इसे सशक्त बनाने के लिए हमें प्रयास करना होगा। प्रभारी कुलपति डॉ. एन. के. थापक ने भी अपनी विचारधारा व्यक्त करते हुए कहा भावों की समानता के कारण हिन्दी सहज ही सभी भाषाओं से सम्बद्ध हो जाती है। इस अवसर पर सभागार में कुलसचिव केके श्रीवास्तव, डॉ. मनीष मिश्र, डॉ. राजेश दुबे, श्री मनीष दुबे, डॉ. वीव्ही तिवारी, डॉ. सुनीता जैन, कैप्टन पीके दत्ता, गोविन्द सिंह, डॉ. सुनीता दीक्षित के साथ सभी शौक्षिक एवं अशैक्षिक अतिथियों की सहभागिता रही अभार डॉ. एसएस पाण्डेय ने व्यक्त किया तथा मंचसंचालन आषुतोष शर्मा ने किया। कल्याण मंत्र के साथ संगोष्ठी समपन्न हुई।

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