धनवान बनाने के साथ उम्र भी बड़ाता है वट का वृक्ष

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हिंदू शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष को सबसे पवित्र
वृक्षों में से एक माना जाता है । ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म के तीन मुख्य देवता इसमें निवास करते हैं । यह वृक्ष एक दीर्घायु वृक्ष है । भगवान विष्णु के साथ-साथ बरगद के वृक्ष में लक्ष्मी जी का निवास भी बताया जाता है । यही कारण कहे या मान्यता कहे जिसके चलते इस वृक्ष की पूजन दीर्घ आयु के साथ-साथ धनवान भी बनाती है ।
धार्मिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से लंबी आयु होती है । सभी तरह के कलह व परेशानियों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है । वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों में देवों के देव महादेव निवास करते हैं। पेड़ की शाखाओं में मां सावित्री का वास है । भगवान विष्णु जी की संगनी लक्ष्मी माता का भी इस वृक्ष में निवास माना जाता है। इसी वजह से बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

बट सावित्री का त्यौहार
यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है । इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं । बट सावित्री अमावस्या तिथि को पड़ती है इसलिए इसे वट अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है । मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या को देवी सावित्री के पति, वट वृक्ष के नीचे ही पुन: जीवित हुए थे।

बरगद की पूजा का वैज्ञानिक महत्व

बरगद का पेड़ हमें सबसे अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है
और यह पेड़ मानव जीवन के लिए बहुत ही लाभदायक है।
80% ऑक्सीजन होने के साथ-साथ बरगद के पेड़ में सबसे
अधिक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसकी जड़े जमीन के भीतर बहुत गहरी और दूरतक फैलाव करती हैं । जिस कारण ये जमीन को बांधकर रखती हैं बारिष में जमीन का कटाव रोकती हैं । जिसके
कारण हमारा मौसम भी हरा भरा होता है। इसलिए बरगद की
पूजा का वैज्ञानिक महत्व भी सबसे अधिक होता है। बरगद का वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंगालेंसिस (Ficus
Benghalensis) है। सूखा और पतझड़ आने पर भी यह हरा-भरा बना रहता है और सदैव बढ़ता रहता है। पौष्टिक तत्वों की बात करें, तो बरगद के पेड़ में कई ऐसे रसायन मौजूद होते हैं । जैसे एंथोसाइनिडिन, कीटोंस, स्टेरोल्स, फ्लेवोनॉयड, फिनोल, टैनिन्स, सैपोनिंस बरगद की पत्तियों में पाए जाने वाले पोषक तत्व प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस भी पाए जाते हैं ।
कहा यह भी जाता है कि बरगद के पेड़ के महत्व को देखते हुए हमारे पूर्वजों ने इसके रखरखाब और कटने से बचाव के लिए वृक्ष की पूजा की होगी ।

आयुर्वेदिक में भी बरगद का महत्व है
आतों के घाव, आधा शीशी, उच्च रक्तचाप, उल्टी, एनीमिया, कंठमाल, कब्ज, कमजोरी, कमर दर्द, कान का दर्द, कुष्ट रोग, कैंसर, क्षयरोग, खांसी, खुजली, गठिया, गर्भधारण, गर्भपात, गुर्दे की पथरी, घाव, चेचक, चेहरे के दाग, जुकाम, झाइयाँ, डेंगू, तुतलाना, त्वचा विकार, दमा, दांत दर्द, दाद, नकसीर, नपुंसकता, नेत्र रोग, पक्षाघात, पथरी, पायरिया, पीलिया, पेचिश, पेट के कीड़े, फोड़े फुंसी, बदहजमी, बवासीर आदि के साथ इसका उपयोग दस्त का इलाज, इम्यूनिटी बूस्टर, अवसाद को दूर करता है । आर्युवेध में इसका उपयोग करने से पहले बैध या डॉक्टर की सलाह लेना चाहिये ।

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